मंगलवार, 27 नवंबर 2007

कौन कहता है तुझे मैंने भुला रखा है

--- जाँ निसार अख्तर

कौन कहता है तुझे मैंने भुला रखा है,
तेरी यादों को कलेजे से लगा रखा है।

लब पे आहें भी नही, आखँ में आंसू भी नही,
दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रखा है।

तुने जो दिल के अँधेरे में जलाया था कभी,
वो दिया अज भी सीने में जला रखा है।

देख जा आके महकते हुए ज़ख्मों कि बहार,
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रखा है।

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